Adivasi : Adivasi
आदिवासी : आदिवासी
पिछले हफ्ते मैं अंतर्राष्ट्रीय समाचार चैनल अल-ज़जीरा इंग्लिश की टीम के साथ दक्षिण बस्तर में था. हम यु.पी.ए. सरकार के छठवें वर्ष के समाप्ति पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अपने पहले प्रेस कांफ्रेस के सम्भावित बयानों को ध्यान में रखकर देश के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित एवं संवेदनशील क्षेत्र दक्षिण बस्तर से सीधा प्रसारण करने के लिए पहुंचे थे.
प्रधानमंत्री जी मीडिया द्वारा पूछे गये नक्सल सम्बन्धित सवालों के जवाबों को तो टाल गये. लेकिन हम अपने काम को नही.
गाँवों में आदिवासियों से बातचीत के साथ-साथ दोरनापाल कैम्प के स्थानीय पुलिस एवं कोया कमांडॉं द्वारा पेट्रोलिंग और डीमाईनिंग की रोजमर्रा की प्रक्रिया में हम दिनभर के लिए शामिल हुये. 45 डिग्री सेल्सियस की झुलसा देने वाली गर्मी और 15 से 20 किलो की भारी भरकम बुलेटप्रूफ जैकेट और अन्य समानों के साथ जवानों की रोज की कई किमी की प्रेट्रोलिंग थकाऊ और मुश्किल भरा काम है. घनें जंगलों में फैल कर पेट्रोलिंग करने वाले इन जवानों के पास आपसी सम्पर्क और बचाव के लिए नाममात्र के ही वायरलेस सेट और सुविधाये है.
कोया कमांडों के जवान पहले सलवा जुडुम समर्थक थे बाद में एस.पी.ओ. बने. ये कोई और नही स्थानीय आदिवासी ही है. पिछले दिनों मारे गये कोया कमांडों के जवान जिस यात्री बस में सवार थे वे शायद क्षण भर अपनी सशस्त्र पुलिसिया जवाबदारी को भुलाकर उसी भावना के साथ बस में बैठ गये थे जैसे वे कभी बेखौफ यात्रा किया करते थे. अपने आदिवासी भाईयों के इस तरह से मारे जाने की घटना के बाद से अब इन्हे अपने क्षेत्र ही में अकेले या दल के साथ भी 5-10 कि. मी. जाने से डर लगता है कि कही नक्सली उन्हे मार न डाले.
दोनो तरफ से एक दूसरे के प्रति अविश्वास, डर और जनजीवन पहले की तरह ही सामान्य होने की उम्मीद के बीच की असमंजस्य स्थिति बनी हुई है. यही वजह है कि स्थानीय आदिवासी जवान और नक्सली आपस में ही हमलावर और बचाव की स्थिती में है, जो कभी इनके अपने ही थे. इनके चेहरों पर ढेरों प्रश्न पढे जा सकते है. अपनी-अपनी सत्ता और सम्पदा की दोहन और लूट से ऊपजी इस खूनी खेल में अपने ही लोगो और समुदाय से साथ की लम्बी लड़ाई ने उन्हे द्रवित और विचलित कर दिया है जिन्हे मानवीय तौर पर केवल महसूसा जा सकता है.
तेजेन्द्र
साथ में पढियें अल-ज़जीरा इंग्लिश की सम्वाददाता प्रेरणा सूरी की रिपोर्ट:
http://blogs.aljazeera.net/asia/2010/06/03/maoists-heartland
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